


केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025’ का अनावरण करेंगे। नई सहकारिता नीति 2025-45 तक आगामी दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। नई सहकारिता नीति 2025-45 तक आगामी दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में, नई सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बनाने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर एक रोडमैप बनाकर सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करना है।
इससे पहले वर्ष 2002 में देश की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति जारी की गई थी, जिसमें सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक आधारभूत रूपरेखा दी गई थी। पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण समाज, देश और विश्व में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए नई नीति बनाना आवश्यक हो गया था, ताकि सहकारी संस्थाओं को वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी बनाया जा सके और ”विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका मजबूत हो सके।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाने, उनका पेशेवर तरीके से प्रबंधन करने, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार और आजीविका के अवसर सृजित करने में सक्षम बनना है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तर की समिति ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार की है। इस समिति में राष्ट्रीय/राज्य सहकारी संघों, सभी स्तरों और क्षेत्रों की सहकारी समितियों के सदस्य, संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालय/विभाग के प्रतिनिधि और शिक्षाविद शामिल थे। एक सहभागी और समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए, समिति ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं। इनमें हितधारकों से प्राप्त 648 बहुमूल्य सुझावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन कर उन्हें नई सहकारिता नीति में शामिल किया गया।